Rahat Indori ki Shayari: राहत इन्दौरी (1 जनवरी 1950 – 11 अगस्त 2020 ) एक भारतीय उर्दू शायर और हिंदी फिल्मों के गीतकार थे। वे देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में उर्दू साहित्य के प्राध्यापक भी रहे। 11 अगस्त 2020 को पूर्णहृद्रोधव से उनका निधन हो गया।
राहत इंदौरी उर्दू के बहुत ही मशहूर शायर थे। उनके गीत हिन्दी फिल्मों में भी पाए जाते हैं। उनके द्वारा काही गई शायरी का कोई मुकाबला नहीं है। तो इस पोस्ट में हम आपके लिए Rahat Indori Shayari in Hindi, Rahat Indori Ke Mashhoor Sher लाए हैं-
Contents
Best Rahat Indori Shayari
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है….
हमें पहचानते हो? हमको हिंदुस्तान कहते हैं,
मगर कुछ लोग हमें ना जाने क्यों मेहमान कहते हैं।
अगर खिलाफ है, होने दो, जान थोड़ी है,
यह सब धुआं है, कोई आसमान थोड़ी है।
लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में,
यहां पर सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।
मैं जानता हूं कि दुश्मन भी कम नहीं लेकिन,
हमारी तरह हथेली पर जान थोड़ी है।
हमारे मुंह से जो निकले वही सदाकत है,
हमारे मुंह में तुम्हारी जुबान थोड़ी है।
जो आज साहिब -ए -मसनद है, कल नहीं होंगे,
किराएदार हैं, जाती मकान थोड़ी है।
सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में,
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है।
शाखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हम,
आधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।
हम से पहले भी मुसाफिर कई गुजरे होंगे,
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते।
मेरा जमीर, मेरा एतबार बोलता है,
मेरी जुबान से परवरदिगार बोलता है।
दोस्ती जब किसी से की जाए,
दुश्मनों की भी राय ली जाए।
मैं मन की बात बहुत मन लगाकर सुनता हूं,
ए तू नहीं है, तेरा इश्तहार बोलता है।
Rahat Indori Shayari in Hindi
बनके एक हादसा बाजार में आ जाएगा,
जो नहीं होगा वह अखबार में आ जाएगा।
चोर उचक्को की करो कद्र के मालूम नहीं,
कौन कब कौन सी सरकार में आ जाएगा।
बादशाहो से भी फेंके हुए सिक्के ना लिए,
हमने खैरात भी मांगा है तो खुद्दारी से।
अजीब लोग हैं, मेरी तलाश में मुझको
वहां पर ढूंढ रहे हैं, जहां नहीं हूं मैं।
कुछ और काम तो जैसे उसे आता ही नहीं शायद,
मगर वो झूठ बहुत शानदार बोलता है।
एक ही नदी के यह हैं दो किनारे दोस्तों,
दोस्ताना जिंदगी से, मौत से यारी रखो।
ऊंचे ऊंचे दरबारों से क्या लेना,
नंगे भूखे बेचारों से क्या लेना,
अपना मालिक अपना खालिक अफजल है,
आती-जाती सरकारों से क्या लेना।
तेरी जुबान कतरना बहुत जरूरी है,
तुझे यह मर्ज है कि तू बार-बार बोलता है।
अब ना मैं हूं, ना बाकी है जमाने मेरे,
फिर भी मशहूर है शहरों में फंसाने मेरे….
मैं मर जाऊं तू मेरी एक अलग पहचान लिख देना,
लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना..।
जनाजे पर मेरे लिख देना यारों,
मोहब्बत करने वाला जा रहा है…।
जितने अपने थे सब पराए थे,
हम हवा को गले लगाए थे,
है तेरा कर्ज मेरी आंखों पर,
तूने सपने बहुत तो दिखाए थे।
राहत इंदौरी की शायरी
आग के पास कभी मोम को लाकर देखू,
हो इजाजत तो तुझे हाथ लगा कर देखूं।
उस आदमी को बस एक धुन सवार रहती है,
बहुत हसीन है दुनिया इसे खराब करू।
इबादत की हिफाजत भी उनके जिम में है,
जो मस्जिदों में सफारी पहन के आते हैं।
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था,
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था।
नए किरदार आते जा रहे हैं,
मगर नाटक पुराना चल रहा है।
राज जो कुछ हो इशारों में बता भी देना,
हाथ जब उससे मिलाना तो दवा भी देना।
ये जमीन एक रोज तेरी खाक में खो जाएंगे,
सो जाएंगे, मर के भी रिश्ता नहीं टूटेगा हिंदुस्तान से, ईमान से।
राह में खतरे भी हैं लेकिन ठहरता कौन है,
मौत कल आनी है आज आ जाए डरता कौन है,
तेरे लश्कर के मुकाबिल में अकेला हूं मगर,
फैसला मैदान में होगा कि मरता कौन है।
दिलों में आग, लबों पर गुलाब रखते हैं,
सब अपने चेहरों पर दोहरी नकाब रखते हैं।
जिंदगी है तो नए जख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी है कई दोस्त पुराने मेरे।
राहत की शायरी
वैसे इस खत में कोई बात नहीं है,
फिर भी एतिहातन इसे पढ़ लो जला भी देना।
ना हम सफर ना किसी हमनशी से निकलेगा,
हमारे पांव का कांटा हमी से निकलेगा।
टूट कर बिखर हुई तलवार के टुकड़े समेट,
और अपने हार जाने का सबब मालूम कर।
तूफानों से आंख मिलाओ सैलाबो पर वार करो,
मल्लाहओ का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो।
जरूर हो मेरे बारे में राय दे,लेकिन
यह पूछ लेना कभी मुझसे वह मिला भी है।
किसने दस्तक दी इस दिल पर,
आप तो अंदर हैं बाहर कौन है?
एसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे,
जो हो परदेस में वह किस से रजाई मांगे।
मैं लाख कह दूं कि आकाश हूं, जमीन हूं मैं,
मगर उसे तो खबर है कि कुछ नहीं हूं मैं।
अपने हकीम की फकीरी पर तरस आता है,
जो गरीबों से पसीने की कमाई मांगे।
घर से यह सोच के निकला हूं कि मर जाना है,
अब कोई राह दिखा दे कि किधर जाना है,
जिस्म से साथ निभाने की मत उम्मीद रखो,
इस मुसाफिर को तो रास्ते में ठहर जाना है।
Status Shayari of Rahat Indauri
कौन जालिम है यहां जुल्म हुआ है किस पर,
क्या खबर आएगी अखबार को तय करना है,
साहब अपने घर में मुझे क्या खाना पकाना क्या है,
यह भी मुझको नहीं सरकार को तय करना है।
एक चिंगारी नजर आई थी बस्ती में उसे,
वो अलग हट गया, आधी को इशारा करके।
और मुझे वो छोड़ गया ये कलम है उसका,
इरादा मैंने किया था कि छोड़ दूंगा उसे।
shakhon se Tut jaaye vo patte nahin Hain Ham,
Aadhi se Koi kah de ki aukat mein rahe.
humse pahle bhi Musafir Koi gujre honge,
kam se kam rah ke pathar To hatate jaate.
Mera Jamir, Mera etbar bolata hai,
Meri juban se parvardigaar bolata hai.
Dosti Jab Kisi se ki jaaye,
dushmanon ki Rai Li jaaye
main Man ki baat bahut man lagakar sunta hoon,
ye Tu nahin hai, Tera Istikhar bolta hai.
ban ke Ek hadsa bajar mein a jaega,
Jo nahin hoga vah akhbar mein a jaega.
Chor uchako ki karo kadra ki maloom nahin,
Kaun kab kaun si Sarkar mein a jaega.
badshaho se bhi fenke hue sikke na liye,
humne khairat bhi Manga hai To khuddari se.
Ajeeb log Hain, Meri talash mein mujhko,
vahan per dhundh rahe hain, Jahan nahin Hun Main.
Kuchh aur kam To Jaise aata hi nahin Shayad,
Magar vo jhooth bahut shandar bolata hai.
ek hi Nadi ke yah hai do kinare doston,
Dostana Jindagi se, maut se yari rakho.
unche unche darbaron se kya Lena,
nange bhukhe becharon se kya Lena,
apna Malik apna Khali afjal hai,
aati jaati sarkaron se kya Lena.
Teri juban katarna bahut jaruri hai,
Tujhe yah marj hai ki tu bar-bar bolata hai.
Ab Na Main Hun, na baki hai jamane Mere,
fir bhi mashhur hai shahron mein fansane Mere.
तो दोस्तों आपको यह पोस्ट Rahat Indori Shayari In Hindi कैसे लगी हमे कमेन्ट में जरूर बताएँ।
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