(Akbar Allahabadi) अकबर इलाहाबादी के मशहूर शेरो शायरी: अकबर इलाहाबादी भारत के तहजीब के बड़े दिलेर शायर थे। अकबर इलाहाबादी की शायर जमाना और जिंदगी का आईना था।
अकबर इलाहाबादी का जन्म 16 नवंबर 1846 को इलाहाबाद कस्बा बारह में हुआ था। इनका नाम सैयद अकबर हुसैन इलाहाबादी था। इनके वालिद तफज्जुल हुसैन नायब तहसीलदार थे। इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई आठ नौ वर्ष की उम्र में फारसी और अरबी की पुस्तकें पढ़ ली। उसके बाद मिशन स्कूल में इनका दाखिला कराया गया। घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण 15 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ कर नौकरी तलाशनी पड़ी। अकबर इलाहाबादी की कम उम्र में शादी भी एक देहाती लड़की से हो गई यह शादी इनको पसंद नहीं आई आगे चलकर दूसरी शादी भी हुई इनका जीवन बड़ा ही संघर्ष का रहा अपने दम पर बहुत बड़ी उपलब्धि भी हासिल की इनके शायर आज भी सबके दिलों पर राज करता है।
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Shayari of Akbar Allahabadi
shortshayari.com: शायरियों का खजाना अकबर इलाहाबादी -shayari of Akbar Allahabad
दुनिया में हूं, दुनिया का तलब गार नहीं हूं,
बाजार से गुजरा हूं, खरीदार नहीं हूं।
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अकबर दबे नहीं किसी सुल्ता की फौज से,
लेकिन शहीद हो गए बीवी की नौज़ से।
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हंगामा है क्यों बरपा थोड़ी सी जो पी ली है,
डाका तो नहीं डाला चोरी तो नहीं की है।
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मरना कुबूल है, मगर उल्फत नहीं कुबूल,
दिल तो ना दूंगा आपको मैं, जान लीजिए।
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राहत है इबादत में हमें मौत का खटका,
हम याद ए- खुदा करते हैं, कर ले ना खुदा याद…..
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इलाही कैसी कैसी सूरत तूने बनाई है,
कि हर सूरत कलेजे से लगा लेने के काबिल है।
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हया से सर झुका लेना, अदा से मुस्कुरा देना,
हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना।
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बताऊ आपको मरने के बाद क्या होगा,
पुलाव खाएंगे अहबाब, फातिहा होगा।
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हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,
वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती।
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आह जो दिल से निकाली जाएगी,
क्या समझते हो कि खाली जाएगी।
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अकबर इलाहाबादी की शायरी
इश्क नाजुक मिजाज है बेहद,
अक्ल का बोझ उठा नहीं सकता।
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हर ज़र्रा चमकता है, अनवर-ए-इलाही से,
हर सांस ये कहती है, कि हम हैं तो खुदा भी है।
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खींचो ना कमानो को, ना तलवार निकालो,
जब तोप मुकाबिल हो, तो अखबार निकालो।
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मेरी ये बेचैनिया और उनका कहना नाज से,
हंस के तूम से बोल तो लेते हैं, और हम क्या करें…।
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फायदा हुआ वकील तो शैतान ने कहा,
लो आज हम भी साहिब-ए हुए, टेंशन मिली, फिर मर गए….।
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आई होगी किसी को हिज्र में मौत,
मुझको तो नींद भी नहीं आती।
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जो कहा मैंने कि प्यार आता है मुझको तुम पर,
हंस के कहने लगा, और आपको आता क्या है…।
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ये है कि झुकाता है मुखालिफ की भी गर्दन,
सुन लो कि कोई शय नहीं एहसान से बेहतर।
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जवानी की दुआ लड़कों को ना-हक लोग देते हैं,
यही लड़के मिटाते हैं जवानी को जवा होकर….।
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खुदा महफूज रखे आपको तीनो बलाओ से,
वकील से, हकीम से, हसीनों की निगाहों से।
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Akbar Allahabadi ke Shair
हम क्या कहें अहबाब क्या कर-ए-नुमायां कर गए,
बी-ए हुए, नौकर हूं, पेंशन मिली, फिर मर गए…।
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उम्मीद-ए-चश्म-ए-मुरव्वत कहां रही बाकी,
जरिया बातों का जब सिर्फ टेलीफोन हुआ।
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गम्जा नहीं होता कि इशारा नहीं होता,
आज उनसे जो मिलती है तो क्या-क्य नहीं होता….।
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लोग कहते हैं, बदलता है जमाना सब को,
मर्द वो है जो जमाने को बदल देते।
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बस जान गया मैं तेरी पहचान यही है,
तू दिल में तो आता है, समझ में नहीं आता।
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खुदा से मांग जो कुछ मांगना है ऐ अकबर,
यही वह तर है कि जिल्लत नहीं सवाल के बाद।
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बस जान गया मैं तेरी पहचान यही है,
तू दिल में तो आता है, समझ में नहीं आता।
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खूब उम्मीदें बजे लेकिन हुई हिरामा नसीब,
बदलिया उठी मगर बिजली गिराने के लिए।
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मोहब्बत का तुम से असर क्या कहूं,
नजर मिल गई दिल धड़कने लगा।
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जब कहा मैं ने बुला दो गैर को, हंसकर कहा,
याद फिर मुझ को दिलाना भूल जाने के लिए।
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अकबर इलाहाबादी के शायर संग्रह करके लिखा गया है जो शायद आप लोगों को नेट के माध्यम से आप सबको आसानी से मिल सके इसके लिए कोशिश किया गया है शायद आप लोगों को पसंद जरूर आएगा! धन्यवाद
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